कारगिल के वीर जवान शहीद
कारगिल के वीर जवान शहीद
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आज लेखनी कहती है तुम लिखो कथा उन वीरों की।
कारगिल को जिन्होंने जीता था उन शूर वीर शमशीरों की।।
पाक की कलुषित चालों को अपनी चालों से हरा दिया।
कारगिल की चोटी पर चढ़ कर दुश्मन को जड़ से मिटा दिया।।
भारत के एक एक सैनिक ने दस दस शीशों को काटा था।
दुश्मन कितने बलशाली हों कब्रों में उनको पाटा था।।
भारत मां के ये शूरवीर भीषण सर्दी से डरे नहीं।
कारगिल की कठिन चढ़ाई चढ़ तोपों से भी डरे नहीं।।
एक एक दुश्मन को चुन कारगिल चोटी से भगा दिया।
भारत का विजय तिरंगा प्यारा कारगिल चोटी पर गाड़ दिया।
कारगिल विजय फतह कर के भारत माता की रक्षा की।
भारत मां की रक्षा के हित अपने प्राणों की आहुति दे दी।।
धन्य हो गईं वो मातायें जिनके पुत्रों ने शहादत दी।
धन्य हो गईं वो विधवाएं जिनके पतियों ने शहादत दी।।
पथिक भी ऐसे वीरों को शत् बार नमन वन्दन करता।
देश के हित बलिदान हुए उनका नित अभिनन्दन करता।।
यदि सीमा पर वीर नहीं होते तो हम घर में कैसे सोते।
वीरों ने रक्षा ना की होती तो हम कब के मर गये होते।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Aniya Rahman
27-Jul-2022 10:18 PM
Nyc
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नंदिता राय
27-Jul-2022 07:40 PM
बहुत खूब
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Khushbu
27-Jul-2022 07:14 PM
बहुत ही सुन्दर
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